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आकस्मिकता-थोड़ी ही देर में बना बनाया काम बिगड़ जाता है

Santosh kumar koli ' अकेला' 09 Nov 2023 कविताएँ समाजिक आकस्मिकता 10814 0 Hindi :: हिंदी

थोड़ी ही देर में, बना -बनाया काम,
बिगड़ जाता है।
सबसे आगे वाला,
पिछड़ जाता है।
थोड़ी ही देर में, जीतने वाला,
जाता है हार।
हारने वाले की,
होती जय -जयकार।
थोड़ी ही देर में, उड़ जाती हैं,
गिल्लियां।
पल के परिणाम को,
भोगती हैं पीढ़ियां।
थोड़ी ही देर में, अर्श से फिसल,
आता है फर्श पर।
फर्श से उछल,
जाता है अर्श पर।
थोड़ी ही देर में, लाल हाल, बेहाल,
हाल ही रज रला।
ज़िंदगी और मौत में,
पल का है फ़ासला।
थोड़ी ही देर में, मिट्टी में,
मिल जाता नाम।
पल में पलटते,
पथ के परिणाम।

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