Rakhi sharan 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक अगर हाथों में आई तेरी नाकामी 30885 0 Hindi :: हिंदी
अगर हाथों में आई तेरी नाकामी तो यह मत समझ तू काबिल नहीं ये तेरे सब्र की इम्तहान है समझ, मंजिल पाना है तुझे प्रयत्न की सीढ़ियां चढ़ते जा , आज कांटे ही सही कल फूलों भरी मुस्कुराती मंजिल तेरे हाथों में होगी। राखी शरण