संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मेरी कविता पाठकों के लिए प्रेरणा से भरपूर है जो जीवन में हमेशा आपका मार्गदर्शन करता रहेगा । 55946 0 Hindi :: हिंदी
सबों में एक ललक सी थी, विचारों की चल रही थी संगोष्ठी। सबों ने विचारा, कुछ कर गुजरना है, संघर्षों के इस आग में जलकर, कुन्दन सा चमचमाना है। प्रेम और स्नेह से भरी, एक नई हर्षित दुनिया बनाना है। सभी मानवों को, प्रेम रस में रंगना था। प्रेम और स्नेह की दुनिया का, वरमाला पहनाना था। विचारों की चल रही थी संगोष्ठी_ विचारों की चल रही थी संगोष्ठी। चिंटू भैया
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....