Naman Kumar 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक अपनी पहचान - नमन कुमार कवि 53880 1 5 Hindi :: हिंदी
छोटी सी उम्र से सपने बुने. सपनो की मंजिलों के रास्ते चुने. एक मंजिल नहीं तो’ दूसरी की आशा में चल दिए; हर कदम बढ़ने पर पैर छलनी हुए. हाथ कुछ ना आया; सिर्फ संजोएं सपने ही अपने रहे; क्योंकि सपनों से नहीं; हकिकत से दुनिया बनती है और" दुनिया की भीड़ से आगे निकलने पर ही दोस्तो अपनी पहचान बनती है!! Naman kumar poet (Nktanha poetry)
1 year ago