Meena ahirwar 08 Jun 2023 कविताएँ समाजिक कविता- बदले की भावना# एक दूसरे के प्रति हीन भावना ना रखने की सीख। 7013 0 Hindi :: हिंदी
बदले की भावना जहाँ , वहां कौन किसी का । ये भावना तो बिना पौधों के, ही पनप जाती। किसे लाभ किसे हानि, कौन सोचता इतना । होस तब आता, जब सब बिखर् जाता । एक दूसरे से इतनी घृणा , आख़िर क्यों हो जाती । की अपनों के बीच ही , बदले की भावना पैदा हो जाती । उद्देश्य- जहाँ बदले की भावना होगी वहां कैसा भी रिश्ता हो वो ज्यादा दिनों तक नही रहता।