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बन्धन - बन्धन रिश्तों की है

संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मेरी कविता प्रेरणा से भरपूर और जीवन के सच्चाई को व्यक्त करते हुए पाठक गणों के लिए बहुत ही उपयोगी है। 43314 0 Hindi :: हिंदी

बन्धन रिश्तों की है,
बन्धन यारों की है,
बन्धन रश्मों की है,
बन्धन समाजों की है,
बन्धन धर्मों की है।
बन्धन तो अति आवश्यक है,
जिसके रहते भावनाओं और
एहसासों की दुनिया सजती है
_निखरती है, जीवन के रूप में,
बढ़ती चली जाती है।
फलस्वरूप एक नई दुनिया का,
सृजन होता रहता है।
कई आते रहते हैं_
कई जाते रहते हैं।
रंग_रूप, रस्म_रिवाज,
की श्रृंगार में पलती_
बढ़ती निराले रूप में, 
सुसोभित होती रहती है।
प्यार और स्नेह की गांठ,
भावना और गुजरती लम्हों,
का बन्धन मानवों को,
एक_दूसरे के करीब,
ला खड़ा कर देते हैं ।
ना कोई शिकवा रहेगी_न कोई मलाल,
आए हैं स्वर्ग धड़ा पर_बनके मिशाल।
बन्धन से बन्धन बांधेंगे_
सफलता  का इतिहास लिखेंगे।
                     चिंटू भैया

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