ROHIT YADAV 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम Google 26206 0 Hindi :: हिंदी
त्याग ,तपस्या,तपोभूमि का वासी पूछ रहा हूं मैं , हर-हर चुमी थी जिसने फांसी उसी देश का वासी पूछ रहा हूं मैं , डम डम वाले डमरू से कैलाशी पूछ रहा हूं मैं , मथुरा वृंदावन हरिद्वार और काशी पूछ रहा हूं मैं, सारी दुनिया से आगे बढ़कर पूछ रहा हूं मैं , दहशत और गद्दारों की छाती पर चढ़कर पूछ रहा हूं मैं , इतिहासकार और सिंहासन से अड़कर पूछ रहा हूं ll पूर्वजों की वीरता के कितने इतिहास पढ़ा डालें , सुन सुन कर आती हंसी इतनी उपवास पढ़ा डालें , मैंने भी इतिहासओ में बहुत तो के नाम सुने , कई राणा महाराणा और कितने तो चौहान सुने , सूरज की किरणें भी भारत से होकर जाती थी , सुनाएं यहां तक सारी दुनिया आर्यव्रत कहलाती थी , महान वीर मुनियों संतो से मेरे देश का नाम रहा , फिर भी मेरा भारत 12 सौ वर्ष गुलाम रहा ll क्या चाणक्य की कूटनीति थोड़ी भी काम नहीं आई, दिल्ली में पृथ्वीराज बड़ा दिल वाला था , मेवाड़ का महाराणा जो चलता था चेतक पर जिसका एक कुंटल का भाला था , रानी पद्मिनी जो इज्जत हेतु अग्नि में जल जाती थी , रानी कर्णावती जो दोनों हाथों से तलवार चलाती थी , रानी लक्ष्मी जो जंग लगी तलवार में धार लगाती थी , पर भारत मां का सीना तो उस दिन गर्भ से फूल गया , जब 18 वर्ष का खुदीराम चुमे फांसी को फांसी झूल गया ll -वंदे मातरम - "रोहित यादव" _ धन्यवाद