साहिबा यादव 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद #माता पिता#बुढ़ापे का हाल #हाय रे बुढ़ापा #माता-पिता की बेबसी#बच्चों का कर्म # जवानी से बुढ़ापे का सफर#बुढ़ापे में बच्चों की मार#अकेले और देवासी का बुढ़ापा 17383 0 Hindi :: हिंदी
बचपन में जिन्होंने हर दर्द सह के अपने बच्चों को खुशी से पाला फिर क्यों बड़े होने पर तुम्हारा दिल इतना काला जिन्होंने तुम्हें हर परिस्थिति मैं संभाला है फिर क्यों बड़े होने पर तुमने उन्हें अकेलेपन की मजबूरी में डाला बचपन में जब मां बाप ने निस्वार्थ होकर तुम्हें पाला है तो फिर क्यों बड़े होने पर तुमने उन्हें जायजात के लिए संभाला है बचपन में जब तुम्हें मां बाप ने अपनी जान समझ कर पाला है तो फिर क्यों बड़े होने पर तुमने उन्हें प्रॉपर्टी में मिली वस्तु समझकर हर वक्त उनकी ख्वाहिशों को टाला 🥺 मां बाप के लिए वह प्यार बड़े होने पर कहां चला जाता है जिन्हे बचपन में देखे बिना चैन नहीं आता है बचपन में जब तुम्हारे मायूस चेहरे देखकर वह दौड़े चले आते फिर क्यों बड़े होने पर तुम उनके दर्द के आंसू समझ नहीं पाते मुझे आशा है कि आप सभी इसे सिर्फ पढ़े नहीं इसे अपने जीवन के व्यवहार में परिवर्तित करें अपने माता-पिता का सम्मान करें लेखिका साहिबा यदुवंशी🙏🏻🙏🏻