Shubhashini singh 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य Google /Yahoo/Bing /instagram/Facebook/twitter 28346 0 Hindi :: हिंदी
चलो लम्हे चुराते है जो रेत सी हाथों से फिसलती जा रही आज उसको कैद करते है चलो लम्हे चुराते है थोड़ा सा लम्हे को जी लेते है उनसे कुछ ख्वाब बुन लेते है उनसे जुड़ी आशाएं उनसे जुड़ी कुछ उम्मीद आज पूरा कर लेते है चलो लम्हे चुरा लेते है.....