बासुदेव अग्रवाल 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य चौपई छंद, जयकरी छंद, बासुदेव अग्रवाल 78078 0 Hindi :: हिंदी
(बाल कविता) म्याऊँ म्याऊँ के दे बोल। आँखें करके गोल मटोल।। बिल्ली रानी है बेहाल। चूहे की बन काल कराल।। घुमा घुमा कर अपनी पूँछ। ऊपर नीचे करके मूँछ।। पंजों से दे दे कर थाप। मूषक लेना चाहे चाप।। छोड़ सभी बाकी के काज। चूँ चूँ की दे कर आवाज।। मौत खड़ी है सिर पर जान। चूहा भागा ले कर प्रान।। ज्यों कड़की हो बिजली घोर। झपटी बिल्ली दिखला जोर।। पंजा मूषक सका न झेल। 'नमन' यही जीवन का खेल।। *********** चौपई छंद / जयकरी छंद विधान - चौपई छंद जो जयकरी छंद के नाम से भी जाना जाता है,15 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है। कहीं कहीं इसका जयकारी छंद नाम भी मिलता है। यह तैथिक जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 चरण होते हैं और छंद के दो दो या चारों चरण सम तुकांत होने चाहिए। चौपई छंद से मिलते-जुलते नाम वाले अत्यंत ही प्रसिद्ध चौपाई छंद से भ्रम में नहीं पड़ना चाहिये। चौपाई छंद 16 मात्राओं का छंद है जिसके चरणान्त से एक लघु निकाल दिया जाय तो चरण की कुल मात्रा 15 रह जाती है और चौपाई छंद से मिलता जुलता नाम चौपई छंद हो जाता है। इस प्रकार चौपई छंद का चरणान्त गुरु-लघु रह जाता है जो इसकी मूल पहचान है। इन 15 मात्राओं की मात्रा बाँट:- 12 + S1 है। 12 मात्रिक अठकल चौकल, चौकल अठकल या तीन चौकल हो सकता है। अठकल में दो चौकल या 3 3 2 मात्रा हो सकती है। चौपई छंद के सम्बन्ध में एक तथ्य यह भी सर्वमान्य है कि चौपई छंद बाल साहित्य के लिए बहुत उपयोगी है, क्योंकि इसमें गेयता अत्यंत सधी होती है। बासुदेव अग्रवाल 'नमन' © तिनसुकिया