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एक चेतावनी - संभल जा ए नादान चीन

Ekta Tiwari 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम संभल जा ए नादान चीन 60382 0 Hindi :: हिंदी

संभल जा ए नादान चीन कितना तू सिर पर चढ़ेगा। 
जिस देश की माटी में खेले भगवान उस भारत के तू आगे झुकेगा।
जीव जंतुओं को मारकर खाना अपनी पीढ़ी को भी यही सिखाते हो।
सांप--चमगादड़ खाके वायरस फैला दिया क्यों भोजन नहीं पकाते हो।
ये पाप तुम पर चढ़ चढ़ के दुनिया के आगे डोल रहा है।
क्यों भारत से टक्कर लेके खुद के विनाश का मुख खोल रहा है।
जब नाश मनुज पर छाता है।
पहले विवेक मर जाता है।
तुम्हे खुद के हथियारों पर क्यों इतना गुरूर होता है।
हिंदुस्तान से पंगा लेके देख तेरा सपना कैसे चूर चूर होता है।
मत पड़ जमीन के लालच में ए चीन बस खुद के देश को संभाल।
वरना रोना पड़ेगा एक दिन देखेगा जब तू हिंदुस्तान की चाल।
जब जब भी कोई देश हमारे हिंदुस्तान से टकराया है।
तब तब इस देश के वीरों ने उसे मारकर भगाया है।
यदि तुम्हें अब युद्ध ही करना है ।
शायद तेरे पापों का घड़ा भरना है।
तो ले हम भी अब यहीं बताते हैं।
अन्तिम संकल्प उठाते हैं।
समझौता नहीं अब रण होगा।
जीवन रहे या फिर मरण होगा।
आख़िर तू भूसाई होगा।
हिंसा का पड़ताई होगा।
बन बज्र हम तुम पर छूटेंगे।
सौभाग्य तुम्हारे फूटेंगे।
जब तक है हमारे बाजुओं में दम ए चीन तब तक हम इस देश को न झुकने देंगे।
कितना भी तू कर लेगा प्रयत्न एक इंच भी जमीं न तुम्हें छूने देंगे।
तू मर मिट जाएगा यदि भारत से टकराएगा।
बहुत पछताएगा जब याद ये पल आयेगा।
और आखिर एक दिन तू भारत के ही शरण में लौट कर आयेगा।

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