Pooja Sankalp 27 Jul 2023 कविताएँ दुःखद # नारी 9122 0 Hindi :: हिंदी
परनारियों को निर्वस्त्र कर नोचते हाय दरिंदों तुम्हें लाज तनिक ना आती, वह भी तो किसी मां पिता की आंखों का तारा होती। हीन दृष्टि से जब तुम उन्हें देखते, तब क्या तुम्हें अपनी मां का चेहरा तनिक याद ना आते । जिस बहन ने प्यार से कलाई में राखी बांधी, वह राखी तुम्हें नहीं याद आती । जिस्म की हवश के खातिर तुम इंसानियत को भुला दोगे, क्षण में पर नारी की इज्जत को तार-तार कर दोगे। क्या यही अत्याचार तुम अपनी बहन बेटियों पर सह सकोगे, चुप्पी साध उसे ऐसे ही घर में रख सकोगे। तब तो तुम्हारा खून खौल उठेगा, भाई या पिता का प्यार जाग उठेगा। ध्यान करो जिस क्षण यह नारी दुर्गा बनकर जागेगी, खड़े होने की तुम्हें तनिक जगह तक ना मिलेगी। रक्त पियेगी वह तुम्हारा बन वह काली, तुम्हारे सिरो को काट पहनेगी मुण्ड माला भारी।