Sandeep ghoted 10 Jul 2023 कविताएँ दुःखद दिन बीतने को है और अभी तक सोचा तक नहीं poem 5771 0 Hindi :: हिंदी
दिन बीतने को है और अभी तक सोचा तक नहीं यह रिश्ते जो जकड़े हुए हैं अपनों से अकड़े हुए हैं इन आंसुओं को लोगों में बांट दूं या बारिश की बूंदों की तरह टप टप कर दूं दिन बीतने को है और अभी तक सोचा तक नहीं कि फूंक आसमां में मारूं या खुशियों को आसमां में छिड़क दूं ख्याल कुछ पाने का है और खो बैठा अपनों को दिन बीतने को है और अभी तक सोचा तक नहीं अपनों से मिले दुख जिनको मैं कैसे दुनिया में बांट दूं खुशियों का उपहार लिए मैं किसे बांटने जाऊं दिन बीतने को है और अभी तक सोचा तक नहीं निगाहों में अपनों के थक हार में बैठ गया हूं सोच में डूबा हूं ख्यालों में खो गया हूं
Hi 👋 My name is a Sandeep ghoted I am living in Rajasthan I am becoming of an ias and Ras office...