Sachin Kumar lodhi 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत दो लफ्ज़ 20302 0 Hindi :: हिंदी
तेरे लिए जब भी बोलूं, मेरे लफ्ज़ कम पड़ जाते हैं बस इतना बोलूं तुझमें में देंखु, तुम मुझमें देखो। करू खुदा से इक मिन्नत जब भी आए तेरे दर पर बो , मुस्कराहट सा मुखड़ा तेरे दर पर लाए। गलियों गलियों भटका में, जब तेरा हाथ पकड़ कर मे वो लभ्य भी कितना आकर्षक था जिसको मे बया न कर पाऊं में शक्ल में देखु तेरी बार बार, तेरे चेहरे पर मुस्कान बार बार हिय मेरा हर बार कहे निरंतर बनीं रहे उल्लास तेरी ।। करु खुदा से इतनी गुजारिश, चारो वेला मुस्कान रहे। करू खुदा से बस इतनी इबादत, तेरा ये चंचल सा मुखड़ा सदा बना रहे खिशियो का मिलन, भर दे तू सबका मन ॥ तेरे लिए प्रियतम मे क्या कहुं हर बार की तरह इस बार कहुं जब भी देंखु तुझको में मेरा साहस मेरा अभिमान दिखे। करु खुदा से इतनी शिफारिश मेरा अभिमान सदा बना रहे ।। जब भी मे देंखु उस चांद को बह भी बेरस सा लगता हैं जब तक देख न लू तुमको में मन व्याकुल सा रहता है ।। जब तक तुम मुझको न देखो चिंतित सी रहती हो है प्रियतम जब तक सायोंग न हो हमे दोनो का हम दोनो व्याकुल रहते है करु मे खुदा से इतनी इबादत हर पल हर लम्हा साथ रहूं में इक बार नही हर बार रहूं में सातों जन्म साथ रहूं में । बस इतना बोलूं तुझमें में देंखु, तुम मुझमें देखो । सचिन