Himanshu maurya 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य ईर्ष्या 79338 0 Hindi :: हिंदी
है मानव तुम बने ईर्ष्यालु तो जग का कैसे होगा कल्याण । पर कुछ होते है मानव जो ईर्ष्या भाव भी रखते है। जो दूसरे की ईर्ष्या में स्वयं के पैर को काट लेते है है मानव तुम ना बनो ईर्ष्यालु तुम लोक कल्याण करो जो तुम ईर्ष्या करते हो न होगा इससे लोक कल्याण