Rohit 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य 11335 0 Hindi :: हिंदी
गुरुजन कहते थे मुझसे, पढ़ ले पढ़ ले कुछ बन जाएगा। में नादान था समझ ही न पाया, उनकी बातों में न जाने कितने अरमान थे। हंसता था मैं बातों पर उनकी, सोचता था अज्ञानी हैं सब। मूर्ख था मैं पहले, आज रोता है याद करके बातें उनकी। गुरु जी कहते थे मुझसे, समझाते थे हजार बार मुझे। मैं मूर्ख समझ न सका, वो ज्ञान भारी बातें उनकी। किताब पढ़ना जो सीखते थे मुझको, हर गुनाह से बचाया करते थे मुझको। मैंने बात न मानी गुरुजन मात - पिता की, आज भुगत रहा हूं करके मनमानी अपनी। मैं आज रोया हूं जी भरकर, करके याद बातें उनकी। हुआ है आज पछतावा मुझको, काश मान लेता मैं बातें उनकी। रह गया मैं अनपढ़, रोता हूं पल पल करके याद बातें हजार उनकी। सीख मानी होती अगर, तो रोता न इस तरह याद करके बातें उनकी।