कुमार किशन कीर्ति 08 Jun 2023 कविताएँ दुःखद हँसते ज़ख्म, तन्हा 6009 0 Hindi :: हिंदी
जीवन में मुझे कुछ नहीं मिला, मिला भी तो हँसते ज़ख्म....। हँसते ज़ख्म? जी हाँ। मेरा दिल टूटा है जरूर मगर, खुश है। तन्हा है जरूर मगर, खुश है क्योंकि,मेरे पास है हँसते ज़ख्म। मुझे मालूम है, और यह दिल जानता है। यह हँसते ज़ख्म मुझे कभी निराश होने नहीं देगा। मेरी संगिनी है यह हँसता ज़ख्म...। कई वर्षों से जीवन की तन्हाई में मैं चुपचाप मौन रहकर भी तन्हा नहीं हूँ। सागर सी लहरें उठती है मन में, फिर भी संभाल लेता हूँ खुद को। कैसे? क्योंकि, मेरे पास है। हँसते ज़ख्म....।