Vipin Bansal 26 Feb 2024 कविताएँ धार्मिक 17582 0 Hindi :: हिंदी
कविता = ( गुमान ) इस शरीर पर मत कर गुमान ! यहाँ पल दो पल का तू मेहमान !! इस शरीर का मत बन दीवाना ! माटी में इसको मिल जाना !! दुखियों के जो आए काम ! ये माटी तीर्थ धाम !! इस शरीर पर मत कर गुमान ! यहाँ पल दो पल का तू मेहमान !! राजा हो या रंक यहाँ पे ! जाना सबको है जहाँ से !! ये कच्ची माटी का मकान ! सबका अंत एक समान !! राजा हो या रंक वहाँ पे ! कर्मो की दौलत आती काम !! इस शरीर पर मत कर गुमान ! यहाँ पल दो पल का तू मेहमान !! सिकंदर ने समझा खुद को महान ! जीता हो बेशक सारा जहान !! बहाया लहू उसने यहाँ पे ! खाली हाथ ही गया जहाँ से !! ख़रीद न पाया अपनी साँसें ! दौलत उसकी न आई काम !! इस शरीर पर मत कर गुमान ! यहाँ पल दो पल का तू मेहमान !! कंस रहा न रावण यहाँ पे ! आए कितने ही अभिमानी यहाँ पे !! टूटा सबका यहाँ अभिमान ! हरि ही बस तारणहार !! हरि ही आएंगे तेरे काम ! जप ले बंदे हरि का नाम !! इस शरीर पर मत कर गुमान ! यहाँ पल दो पल का तू मेहमान !! विपिन बंसल