Sudha Chaudhary 04 Jul 2023 कविताएँ अन्य 6178 0 Hindi :: हिंदी
वो चहकती हुई चाल चल ही गई हम दिखाई दिये तो भंवर जाल में। उसके कपटी नयन सरलता से भरे प्रेम ने भूल की जो गये द्वार पे। मेरे तन पे नही अब मन का रहा जाना था घाट पर जा गिरे धार में। सुधा चौधरी बस्ती