Sudha Chaudhary 17 Jul 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत 8073 0 Hindi :: हिंदी
जब से तुमको देखा जैसे हो जीवन रेखा कितने और भुलावे लेकर पहुंच गए हैं शशिरेखा। करुण कर्ण कि मूक परीक्षा देने से क्या होगा मेरे तुममें और मिलन में कैसी है संभावित रेखा। जग से बता ना पाया तुमसे सब कह डाला मेरे मार्ग का सिर्फ मुकुट तुम जब से तुमको देखा। हास और परिहास सजाकर तुम इस तन में आए मंद और सुभाषित होकर जीवन पथ पर छाए कैसे कह दे हार गए जीत नहीं हम पाए भूल गया है अपना सब कुछ जब से तुमको देखा। मधुशयनी मधुकलश तुम्ही भौरों का उन्माद तुम्हीं मेरे पीर के दुखहर्ता आकांक्षाओं के हार तुम्हीं तुमको ही बस सोचा और नहीं कुछ सोचा जब से तुमको देखा। सुधा चौधरी बस्ती