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जड़ -डाल का क्रोड़ शांति के लिए चाहिएगा

Santosh kumar koli ' अकेला' 07 Aug 2023 कविताएँ समाजिक जड़ और डाल 6237 1 5 Hindi :: हिंदी

एक डाल पर नवांकुर,
नव मन, नव उमंग।
जड़, डाल से पोषित,
प्रफुल्लित हर अंग।
धीरे-धीरे लगा दिखाने,
खुदमुख्त़ारी, खुदरंग।
मन लगा मचलने,
उड़ने का हुड़दंग।
पत्ता टूटा डाल से,
उड़ा बनने बड़ा।
उड़ता गया, उड़ता गया,
उड़ता- उड़ता और चढ़ा।
लड़खड़ा गया ऊपर,
ढूंढे जड़ डाल खड़ा- खड़ा,
जड़ मिली ने डाल,
प्रपर्ण, रज रल सड़ा।
परवान चढ़ कितना ही उड़,
जड़, डाल से मत नाता तोड़।
कितनी उड़ पाएगी गुड्डी,
साथ डोर का छोड़।
हर ऊंचाई पर,
आएगा एक मोड़।
 ,
जड़ डाल का क्रोड़।

Comments & Reviews

Saurav Singh
Saurav Singh गजब पोस्ट 👍

9 months ago

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