आकाश अगम 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक #शिव स्तुति #भजन #bhajan #kavita #आकाश अगम #akash agam 49538 0 Hindi :: हिंदी
जय महादेव जय गंगाधर जय जय जय जय जय शिव संकर रुद्राक्ष हस्त के बंद, शीश निज चन्द्र, कण्ठ लटका विषधर।। नटराज महान नृत्य तांडव डम डम डम डम डमरू की ताल चिर सदस्य त्रिदेव संहारक अज्ञेय निडर जय महाकाल कार्तिकेय, गणेश पूज्य पिता, वैराग्य पुष्ट गौरी की वर जय महादेव जय गंगाधर जय जय जय जय जय शिव संकर।। सुर, असुर नज़र में इक समान लंकेश ले गया स्वर्ण लंक जग बहिष्कारता भस्म मग़र शिव पोत लिया सम्पूर्ण अंक पी ज़हर बने शिव नीलकण्ठ, पी अमृत देवता बने अमर जय महादेव जय गंगाधर जय जय जय जय जय शिव संकर।। आचार्य, कथावाचक महान , आराध्य स्वयं, आराध्य राम सम्पूर्ण विवाह समाज रीति से किया पड़ा शिवरात्रि नाम हो वचनबद्ध अनगिनत बार आराध्य, पत्नि से किया समर जय महादेव जय गंगाधर जय जय जय जय जय शिव संकर।।