Ambuj Pandey(Aru) 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #संघर्ष , # जिंदगी के बदलाव, # संघर्ष एक जीवन 82427 0 Hindi :: हिंदी
हाँ बात सच है परेशान हूं मै, बदलते देख जिंदगी के रंग हैरान हूं मै। क्या यही बदलाव है जो आदमी के जीने का तरीका ही बदल दे, भला इन्हे क्या हक है जो हंसते हुए की खुशियों मे दखल दे। चलो मान लिया मैने बदलाव जरूरी है, बदलाव मे ही गुजरनी जिंदगी पूरी है। पर सोच मे पड़ जाता हूं की सब उसी तरह चलता रहता तो क्या गलत था, समझ मे नही आ रहा जो खुशियाँ समय ने हमें दी वो गलत थीं या मै गलत था। मन व्यथित है और व्याकुल है समझ मे नही आ रहा क्या करूँ, बदल जाऊं इसी समय के साथ या थोड़ा सा और संघर्ष करूँ। पर अब सोच लिया मैने समय जो भी समय दिखायगा उसे गले का हार करुँगा, जो भी होगा जैसा भी होगा उसे खुशी के साथ स्वीकार करुँगा।