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कालापन

ब्राह्मण सुधांशु "SUDH" 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य कालापन, रंग, रूप, जीवन, समाज 15246 0 Hindi :: हिंदी

है शाम का रंग! 
है श्याम का रंग!! 
दिल का  मेरा प्यारा! 
मेरा अपना काला रंग!! 




नकारता सभी की सत्ता को! 
विमुखता को व्यक्त ये करता है!! 
प्रतिशोध और द्वंद का संकेत भी! 
मेरा काला रंग ही देता है!! 





मानता जग अशुभ इसे है! 
मेरे लिए ये है जग से निराला  !! 
हिमालया पर बैठा डमरू वाला! 
गले मे उसने भी  नाग काला ही डाला!! 





हो तामसिक भले ही प्रवृत्ति इसकी! 
कवच सुरक्षा का भी ये देता है!! 
अवसोषित कर ऊष्मा सूरज की ! 
सर्दियों मे भी शरीर गरम ये कर देता है!! 




करते है कुछ जानवर भेदभाव !! 
अज़ीब से इनके साऐं हैं !! 
रूप के सौदागर समझते खुदको! 
काले रंग से घबराए हैं!! 






दुनिया की बुरी नज़रो से अक्सर ! 
माँ का टीका काला ही बचाता है!! 
लगता मुझे इसी से है अपना सा पन! 
मेरा अपना मेरा प्यारा मेरा कालापन!! 





शनि के मन को ये भाया! 
माँ काली ने खुद मे समाया!! 
ओढ़ लिया मैंने भी काला रंग! 
मेरा अपना मेरा प्यारा मेरा कालापन!! 



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