Vipin Bansal 17 May 2023 कविताएँ समाजिक 10869 0 Hindi :: हिंदी
कविता = ( कलयुग ) कथनी करनी में फ़र्क़ हुआ ! यह कलयुग का प्रभाव !! कर्म हुए दानव जैसे ! बातों से भगवान !! भगवा भी बदनाम हुआ ! भगवे में शैतान !! प्रभु नाम की जपते माला ! करते मदिरा पान !! कथनी करनी में फ़र्क़ हुआ ! यह कलयुग का प्रभाव !! रक्षक ही भझक हुए ! हुआ दानव राज !! वादे इनके निगल रहे ! जनता के अरमान !! भ्रष्टाचार का दानव ! हुआ बहुत विकराल !! जड़े इसकी अंबर में ! कैसे हो निदान !! कथनी करनी में फ़र्क़ हुआ ! यह कलयुग का प्रभाव !! मात पिता की सच्ची सेवा ! होती तीर्थ धाम !! श्रवण जैसा पुत्र मिले ! मांगे सब वरदान !! वृद्धाश्रम में सिमट गया ! अब यह तीर्थ धाम !! कलयुग से मिट गए ! श्रवण के निशान !! कथनी करनी में फ़र्क़ हुआ ! यह कलयुग का प्रभाव !! लिव इन रिलेशनशिप से ! जल रहे संस्कार !! मर्यादाएं लांघ रही ! कलयुग में संतान !! मिल रहा ख़ाक में ! मात पिता का सम्मान !! पैंतीस टुकड़ों में बाटकर ! प्यार चढ़ा परवान !! कथनी करनी में फ़र्क़ हुआ ! यह कलयुग का प्रभाव !! विपिन बंसल