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कल्पना

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य कल्पना 8577 0 Hindi :: हिंदी

कल्पना

कल्पना  निशब्द है वे अर्थ हे 
वेकार शब्द हीन और वेबश हैं 
बेनाम और बेकदर गुमनाम है 
नाजूक कमजोर और विशाल  है
कौन कहता है 

इसकी शब्दो को समझ के तो देखो 
कल्पना के भाव समझ पाओगे
नाजूक है इसलिए तो वह हसीन है
नि:शब्द है इसलिए तो 
उसके शब्दों  मे पंख है 
कल्पना हर लम्हे में  
बिच मजधार मे डुबति 
किस्ती और मेरे विचार में 
कांटो के बिच खिले गुलाब में  
कल्पना ही शायरी में नज्म में 

रुबाई में और तो और तन्हाई में 
हवाओं मे बहती फिज़ाओ में 
रीती रिवाज़ पीड़ा और अहंकार में 
भावना और भाव मे कल्पना ही तो है
कवियो के कल्पना शायरो के शायरी मे
धड़कन में धड़कन के दौड़ने बाला 
तैरने वाला लहु कल्पना ही तो है
कल्पना मेरे नजरो मे बसने वाली
धडकन बन के  मेरे ह्रदय  मे 
धडकने वाली कल्पना ही तो है

आंगन मे जो चहकती है 
हमे बेबस करती गुलशन 
खिल खिलाती महफ़िलें संजाती 
मेरी कदमो के रफ्तार में कल्पना ही तो हैं 

जीने कि इच्छा खुशी के कारण मरने कि चाह
मेरे विचार में परिवर्तन लाने बाला 
उम्र के आखरी पड़ाव तक कल्पना ही तो है

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