Vipin Bansal 15 Apr 2023 कविताएँ अन्य 4658 0 Hindi :: हिंदी
कविता ( गिला ) रब से न कोई गिला ! जो मिला सही मिला !! फ़क़ीरी में, मैं हूँ पला ! फ़क़ीरी का भी हो भला !! फ़क़ीरी से ही सीखा हूँ ! जीने की हर कला !! रब से न कोई गिला ! जो मिला सही मिला !! ख़ाली हाथ मैं चला ! कहीं मिला कहीं छीना !! किस बात का करूं गिला ! जो मिला यहीं मिला !! हानि-लाभ क्या बला ! यह न मुझे पता चला !! रब से न कोई गिला ! जो मिला सही मिला !! हर मौसम की अपनी छटा ! पतझड़ से न उपवन घटा !! उपवन का श्रृंगार हुआ ! पतझड़ तो बदनाम हुआ !! कोई मौसम न ख़ला ! मौसम मुताबिक़ मैं ढ़ला !! रब से न कोई गिला ! जो मिला सही मिला !! सुख की जब चली हवा ! खुद को भी दिया भुला !! दुख की जब छाई घटा ! रब से उसने दिया मिला !! दुख से सुख पाने की ! आ गई मुझे कला !! रब से न कोई गिला ! जो मिला सही मिला !! विपिन बंसल