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किसान की लगन

कांतिलाल चौधरी 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद Google 10953 0 Hindi :: हिंदी

( किसान की लगन)
मिलन सूरज का संदेशा
पूरब की लाली पहचान
चिड़िया के जगने से पहले
खाट छोड़ उठ गया किसान 
खिला पिला बैलों को लेकर
करने चला खेत पर काम
नहीं छुट्टी नहीं त्यौहार
दिन भर करता खेत पे काम
बादल गरज रहे हैं गड़ गड़
चम चम चमक रही है बिजली
मूसलाधार बरसात पानी में
जरा न रूकता लेता दम
दिन भर करता काम किसान
सर्दी की रातों में वह
कंबल ओढ़ करे रखवाली
हाथ पांव ठिठुरते जाते
घर से बाहर निकले कौन
फिर भी आग जला खेतों में
कंबल ओढ़ करे रखवाली
      — कांतिलाल चौधरी
रा. उ. मा. वि. आखराड़ ( जालौर)
राजस्थान

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