Shreyansh kumar jain 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 50000 49751 0 Hindi :: हिंदी
वह कितनी सुन्दर प्यारी है वो लडकी घर की किलकारि है, कितने इंजाम वो सहति है जन्म से पहले भी वह गर्भ में मारी जाती हैं, जन्म के बाद भी कम नही होते है इंजाम उसके कई बार तो झाडियों मे फैंक दि जाती है, कुछ बडी हूई तो उसकी सुन्दरता कुछ लोगों के आंखों मे कटाक्ष हुई कुछ दरिन्दों के हाथो वो दुष्कर्म का शिकार हूई । मेरा दिल भी रोता है अखबार में जब यह दिखता है की 3 साल की बेटी का भी बलात्कार होता है , कुछ घर वालों ओर समाज के कारण उसको ताने सहने पडते है, पढाई ओर नौकरी मे भी कुछ उसको ताने सुनने पडते है, शादी के बाद भी कुछ कम नहीं होते अत्याचार उस पर उसे दहेज में मारा जाता है, कैसे कह दूँ मैं की लडकी को इस समाज में लक्ष्मी माना जाता है । कितने दुःख- दर्द वह सहति हे फिर भी किसी से कुछ ना कहती है, अपने पति की हर प्रतिज्ञा को वह प्यार से सहति है कुछ अपने स्वार्थ के कारण उसे पति के द्वारा छोडा जाता है, कैसे कह दूँ मैं की लडकी को समाज में अभी भी लक्ष्मी माना जाता है, सारे रिश्ते-नाते लडकी से ही आते है माँ- मौसी, चाची,ताई , दादी, मामी, नानी सब वोही बनकर आती है, फिर भी यह समझ में नहीं आता इस समाज में वह लक्ष्मी कैसे मारी जाती है । आहो मे आपको यह सच्चाई बतलाता हूँ लडकी को हमेशा इज्जत देना इतना सा संकल्प दिलाता हूँ ।