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मातृभूमि ।

Anil Mishra Prahari 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम वन्दे भारत। 86652 0 Hindi :: हिंदी

तेरी  ममता  अपरम्पार। 

जो  भी   आया   तेरे   द्वारे
विश्व विजेता या  रण- हारे, 
तूने दी  है  छाँव  कृपा   की 
दिए सभी को ठौर -  सहारे। 
         जीने  का  देती  आधार 
         तेरी  ममता   अपरम्पार। 

वो अपने  जो  वैर    निभाते 
जुल्म निरंतर तुझ पर  ढाते, 
तेरी  ममता  के  आँचल   में 
वह्नि  प्रचुर अविरत बरसाते। 
         उनको भी  कर  देती  पार
         तेरी    ममता   अपरम्पार। 

मातृभूमि   तू   भेद   न  जाने 
सजल,  करुण   तेरे    पैमाने, 
प्यासे की तू प्यास शमित कर
क्षुधित  जनों  को  देती  दाने। 
            भरे हुए हैं   शस्यागार 
           तेरी ममता अपरम्पार। 

दया - धर्म  की  नित्य  फुहार 
सत्य- अहिंसा   की   सतधार, 
त्याग और तप की धरती  यह 
व्यर्थ  किंकिणी, हीरक-  हार। 
             कुंदन हो जाता निस्सार 
             तेरी  ममता  अपरम्पार। 

अश्रु - बिन्दु से  हम उर  धोते 
करुण - भाव  के  बहते  सोते, 
निकली कोमल-धार काव्य की 
पलकों  के  जब   मोती  खोते। 
            अंतर्मन  होता   निर्भार 
            तेरी ममता  अपरम्पार। 

अनिल मिश्र प्रहरी।

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