संजय कुमार श्रीवास्तव 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत मोहब्बत का आशियाना / प्रेम कविता/ 47923 0 Hindi :: हिंदी
----: मोहब्बत का आशियाना :--------- ---------------------------------------------- तुम बिन प्रीतम आती , मुझे कहीं नींद नहीं रात को जागू दिन को जागू, जागू दिन और रात --------------------------------------------------------- तुम ही बताओ प्रीतम मेरा ,कैसा होगा हाल कैसा होगा हाल ,सूख में जल्दी जाऊंगा --------------------------------------------------------- तुम बिन प्रीतम दुनिया से ,मैं जल्दी जाऊंगा जो भी खता हुई हो उनको , माफ करो जल्दी --------------------------------------------------------- वरना एक दिन तड़फोगी हां, कहां गया हमदर्दी कहां गया हमदर्दी , दिन और रात पुकारोगी --------------------------------------------------------- फिर भी मिलन नहीं होगा, दिन और रात पुकारोगी प्रीतम मेरी बात मान लो, जल्दी आओ ना --------------------------------------------------------- प्यार पुनः स्टार्ट करें तुम, जल्दी आओ ना तुम जल्दी आओ ना --------------------------------------------------------- ------: राधा की याद कान्हा के नाम :----- ------------------------------------------------------ तू हर गीत गुनगुनाती है कान्हा की याद आती है कान्हा का कैसा प्रेम था मुरली की ता बताती है ------------------------------ सखियों के संग राधे मधुबन में रास रचाती मोहन चले जब मथुरा तो वादा कर गए ------------------------------ प्यारी मैं जल्दी आऊंगा धीरज बनाए रखिए कह कर गए थे मोहन परसो में आ जाऊंगा ------------------------------ कर करके इंतजार राधे हुई अधीर राधा के मुख से निकला कान्हा बड़ा तू छलिया अब तक नहीं हे आया तू कह कर मुकर गया ------------------------------ कान्हा को याद आई राधे की मुस्कुराहट कान्हा से भी ना रहा गया हुए आंसुओं की बारिश ------------------------------ कान्हा से आकर उद्धव पूछते हैं हाल ब्रिज का कान्हा ने तब सुनाई वह प्रेम भरी गाथा ------------------------------ उद्धव भी मन ही मन रोने को आतुर बोले बड़ी जटिल है कान्हा तेरी कहानी ------------------------------ कान्हा ने तब कहा ले जाओ ब्रज को तार राधे को तुम सुनाना कहना कि वो आ जाएगा धीरज बनाए रखिए ------------------------------ सुन उद्धव की वो वाणी राधा हुई बबूला कहने लगी है उद्धव तुम जाओ लौट वापस ------------------------------ किस्सा न तुम सुनाओ कहने लगी हे उद्धव अब कैसे हम जिएंगे एक दिल था मेरा पावन जो कान्हा ले गए ------------------------------ कहने लगी है उद्धव..... ------------------------------ ------ : कलम की दास्तान :------ ------------------------------------- कलम दुख-दर्द लिखती है ,कलम सुख गम भी लिखती है कलम ही प्रेम की गाथा ,बिना रुक रुक के लिखती है ------------------------------------------------------------ लिखावट आपकी जैसा उसे , प्रयोग करते हो कलम उतना ही लिखती है जितना तुम लेख लिखते हो ----------------------------------------------------------- कलम श्रंगार लिखती है ,कलम अंगार लिखती है मिटे जो देश के खातिर ,नमन सौ बार लिखती है ----------------------------------------------------------- कलम का भाव तो देखो ,यह सब का भाव लिखती है बिना रुस्वत किये लोगों का ,अक्सर प्यार लिखती है ----------------------------------------------------------- कलम कवियों को ऐसा प्यार देती है लिखे जिस भाव से उसे वह भाव देती है ----------------------------------------------------------- कलम की बदौलत से मिला है प्यार कवियों को कलम की बदौलत से मिला सम्मान कवियों को ----------------------------------------------------------- 🌷 प्रेमी ने चाँद से माँगी मदद 🌷 .................................................................... ए चांद अपनी चांदनी से , कह दे एक बार ढूंढ कर मिला दे , कहां है मेरा यार दिन में देखता हूं , तो नजर नहीं आती रात को हो सकता है , हो खाली बैठती बहुत दिन हुए कहीं , नजर ना आ रही पता नहीं वह कहां कहां , है जा छुपी ए चांद अपनी चांदनी से , कह दे एक बार ... ए चांदनी थोड़ी सी , मुझपे कर दे तू दया बरसो बिछड़े साथी को , मिला दे एक बार ए चांद अपनी चांदनी से कह दे एक बार............... -------- प्रेमिका की मंजुल का वर्णन -------- ..................................................................... तेरी चाहत का दरिया देख , दिल ये कहता है प्यार तुझसे ही करूं , और सब तो धोखा है चांद तुझे देखकर हर , दम ओ मोन रहता है तेरी मंजुल को देख , चांद भी चुप रहता है तेरी चाहत का दरिया .......................... तेरी जुल्फों की अदा , देख घटा छाती है चकवा चकवी एक दूजे से , बिछड़ जाती है तेरे ललाट की ऐसी , ओ चमक आती है सारे संसार का अंधेरा ,ही हर लेती है तेरी चाहत का दरिया ...................... तेरे कजरारे नैन लगते बड़े ,प्यारे हैं तेरे पलकों की छांव बैठे , हम दीवाने हैं तेरी मुस्कान हमें लगती, बड़ी प्यारी है तेरे होठों की अदा , खूब ही निराली है तेरी चाहत का दरिया देख , दिल ये कहता है प्यार तुझसे ही करूं ,और सब तो धोखा है ।। *******-**-*************************************** --------- शायरी -------- ************************************--********** किसी की याद में गुजरा ये जीवन अब सताता है मिले बरसों हुए तुमसे ये जीवन अब सताता है ।। ************************************************* चांदनी रात सी तू सुहानी लगे जिंदगी तेरे बिन कयामत लगे मिल जाए पुनः प्यार तेरा सनम रोशनी ही जहां की दीवानी लगे ।। ************************************************* आंख में दर्द प्यार का झलकता रहा वह मुझे हर समय देखता ही रहा प्यार ऐसा हुआ दिल मचलता रहा दिल के दरवाजों से वो धड़कता रहा ************************************************* जिंदगी हमको ऐसी लगने लगी हमसफर के बिना यूं उजड़ने लगी कोई दर्द समझ हाथ मेरा ले थाम वरना जिंदगी तो यूं ही निशा होती रही ।। ************************************************* ------------------------ ----: तेरी याद :---- ------------------------ तुम्हारी याद के मौसम हमें ,अक्सर बुलाते हैं तुम्हें जाने की चाहत में , यूं खुद को मिटाते हैं तुम्हें आना हो तो आओ , हमारी दिल की महफिल में तुम्हारे बिन तो हम दिल को , बस यूं ही जलाते हैं कवि संजय कुमार श्रीवास्तव जन्म 1 सितम्बर 1997 शिक्षा बी0ए0 ग्राम मंगरौली पोस्ट भटपुरवा कलां जिला लखीमपुर खीरी राज्य उत्तर प्रदेश