Preksha Tripathi 03 Jul 2023 कविताएँ धार्मिक 11989 1 5 Other :: Other
वदान्य प्रबल दृष्टांत सकल ! एकांत शून्य सा चारु विदल!! मन से निश्च्छल् ध्वनि में तरुदल! वक्तव्य नाद सा करे विकल!! है तीक्ष्ण तेज जैसे दिनेश! अति प्रवर सरल सा तारकेश!! अति चपल नाद डमरू महेश! अति श्लाघ्य रुप मम इष्ट वेश!! कैरव् दल मम कल्पतरु! पद रज कर दे हरिल मरु!! शरण देहि मोहि मन मुकुरु! सतत् नमन तोहि मम गुरु!! प्रेक्षा त्रिपाठी
10 months ago