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Preksha Tripathi

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My Articles

थे एक तपस्वी ऐसे वो जो आज धरा पर नहीं रहे। कर दिया समर्पण् जीवन सब और भ्रातृ प्रेम में रमे रहे।। जिस माँ की गोद में खेले थे उस माँ के लो read more >>
प्रकृति का नर्तन जब आरंभ होता है! तब घुंघरु का मधुरिम स्वर नहीं काल का तीक्ष्ण नाद सुनाई देता है!! प्रेक्षा त्रिपाठी ✍️ read more >>
Everything alters with the passes of time 🌊 Acceed every good or bad things 🌝 & Adapt all circumstances ❣️ Choose always apposite to the self 🤞 & Do opposite of fatalist .... Preksha Tripathi ✍️ read more >>
मेरी पूरी ज़िंदगी बदल के रख दिये। महोदय ने उसमें कदम जो रख दिये।। अकेले थे हम पहले मस्त ज़िंदगी। कट रही थी मेरी थी न कोई बेखुदी।। आ read more >>
हे एकदंत! हे गजमुखा! हे लंबोदर! हे विनायका! मुझ अज्ञानी की आह सुन हे गणाधिपति गणनायका!! मेरे जीवन की विभावरी में विधु सा धवल प्रकाश हो read more >>
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