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Preksha Tripathi

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My Articles

थे एक तपस्वी ऐसे वो जो आज धरा पर नहीं रहे। कर दिया समर्पण् जीवन सब और भ्रातृ प्रेम में रमे रहे।। जिस माँ की गोद में खेले थे उस माँ के लो read more >>
अतिक्ष् सुदिक्ष् प्रयक्षित तुम! उर से हो पूर्ण सुयच्छित तुम!! देवी का रुप प्रलक्षित तुम! प्रेक्षा के हिय में इच्छित तुम!! प्रेक्षा � read more >>
प्रकृति का नर्तन जब आरंभ होता है! तब घुंघरु का मधुरिम स्वर नहीं काल का तीक्ष्ण नाद सुनाई देता है!! प्रेक्षा त्रिपाठी ✍️ read more >>
वदान्य प्रबल दृष्टांत सकल ! एकांत शून्य सा चारु विदल!! मन से निश्च्छल् ध्वनि में तरुदल! वक्तव्य नाद सा करे विकल!! है तीक्ष्ण तेज जैसे � read more >>
Everything alters with the passes of time 🌊 Acceed every good or bad things 🌝 & Adapt all circumstances ❣️ Choose always apposite to the self 🤞 & Do opposite of fatalist .... Preksha Tripathi ✍️ read more >>
अतिशय कोविद् श्रेष्ठ प्रवर। चरणों में अर्पण इंदीवर।। करती मैं वंदन सतत् सतत्।। यशशील रहे एकल अविरत।। हो भाव विभाव प्रभाव सदा। क� read more >>
मेरी पूरी ज़िंदगी बदल के रख दिये। महोदय ने उसमें कदम जो रख दिये।। अकेले थे हम पहले मस्त ज़िंदगी। कट रही थी मेरी थी न कोई बेखुदी।। आ read more >>
जब हृदय उद्विग्नताओं से परिपूर्ण हो जाता है। एवं उसमें और अधिक व्यथित भावनाओं को समाहित कर पाने की पराकाष्ठा नष्ट हो जाती है, तो उर � read more >>
गिरधारि मुरारि पुरारि हरे! नंदलाल अदित्या गोपाल हरे!! बलि बाल अनादि अनंत हरे! अनिरुद्धा हरि मकरंद हरे!! ऋषिकेश हरे! देवेश हरे!! गोपाल� read more >>
हे एकदंत! हे गजमुखा! हे लंबोदर! हे विनायका! मुझ अज्ञानी की आह सुन हे गणाधिपति गणनायका!! मेरे जीवन की विभावरी में विधु सा धवल प्रकाश हो read more >>
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