मुकेश लोधा 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम Google 13284 0 Hindi :: हिंदी
वीरो की वो वीर थी, अवंतिका महावीर थी। मेरे स्वाभिमान की, वो मेरी महा तकदीर थी।। लड़ने में हतियार थी, महाबली जैसा वार थी। मेरी रानी अवंतिका, सबकी महा सरदार थी।। चेतना वो जगा गई, सबकी निंद्रा उठा गई। बलि दान की गाथा, हमको तरह तरह से बता गई।। वीरो की वो वीर थी, अवंतिका महावीर थी। मेरे स्वाभिमान की , वो मेरी महा तकदीर थी।। रानी में वो रानी थी, अवंतिका महारानी थी। जिनके वीर कदमों में, ताकत हर कोई हारी थी।। बाघ जैसी दोड थी, शेर जैसी दाढ़ थी। मेरी रानी अवंतिका, सबकी महा सरदार थी।। वीरो की वो वीर थी, अवंतिका महावीर थी। मेरे स्वाभिमान की, वो मेरी महा तकदीर थी।।