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'मरू माटी योद्धारी धरती'

बी.पी.शर्मा 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम मारवाड़ भूमि री बातां 74359 0 Hindi :: हिंदी

संस्कृति स्वाभिमान सांतरो, 
ओ हरदम ही गुमान छे।
          सोना उगले रेत अठेरी,
         ओ जन्म जन्म कुर्बान छे।
कर्मा ने म्हे कण कण तोलां,
आ पुरखा री सौगात छे।
           मिनख मोल माटी उं जाणां,
          आ म्हारी पिछाण छे।
मरू माटी योद्धारी धरती, आ जन्म जन्म हरसावे छे।
चेतक रो सवार मिनख रो, हां ई सूरज रो गुमाण छे।
मोठ बाजरी घर घर राखां,
हां हिवडे़ में हुलास छे।
          राजस्थानी बोलां छा म्हे,
          ओ मरुधर रो मिठास छे।
हेत प्रेम हेतालु हां म्हे,
खुशियां रो बोपार छे।
           हंसता हंसता जीवन जीयां,
          पण पाणी रो संग्राम छे।
मरू माटी योद्धारी धरती, हां जन्म जन्म हरसावे छे।
चेतक रो सवार मिनख रो, हां ई सूरज रो गुमान छे।
धोळा धोळा धोरिया रे,
ओ म्हाने छे अभिमान।
          हिम्मत पाण जीवणो जाणा, 
         ईरी म्हे हरदम राखा शान।
हां ऐ बांका छे जवान,
आंरी अलबेली छे शान।
           धुआं धुआं चाल छे,
          हां मुरधी छे मुस्कान।
मरू माटी योद्धारी धरती, हां जन्म जन्म हरसावे छे।
चेतक रो सवार मिनख रो, हां ई सूरज रो गुमान छे।
आन बान मिटजावे ऐ तो,
नहीं भूले इतिहास छे।
           जोहर री ज्वाला ने जाणे,
          कण-कण रो बलिदान छे।
ऐ ऊंचा ऊंचा धोरिया रे,
कोयलड़ी रा गीत छे।
          केर सांगरी खेतां उपजे,
        आ खेजड़ले री छांव छे।
मरू माटी योद्धारी धरती, हां जन्म जन्म हरसावे छे।
चेतक रो सवार मिनख रो, हां ई सूरज रो गुमान छे।
हाड़ी रो बलिदान भामाशाह,
दी शीश काट सेनाणी छे।
            कुल धर्म मर्यादा पाली,
           हां ई भूमि रो अभिमान छे।
स्मृति कुंभल पन्ना की छे,
हां अहो भाग ई माटी ने।
             ममता का बलिदान त्याग मां,
            धीन धीन थांरी छाती नें।
मरू माटी योद्धारी धरती, हां जन्म जन्म हरसावे छे।
चेतक रो सवार मिनख रो, हां ई सूरज रो गुमान छे।
पृथ्वीराज पराक्रम री बातां,
ओ गोरी भी थर्रायो छे।
           छल कपट बी कर कर देखी,
          पण तीर कपट से मरियो छे।
करमां मीरा भगति रो,
हां ओ कृष्णा ही मुरार छे।
         राधा रो अवतार रुकमणी,
         बद्री भूमि रो संवाद छे।
मरू माटी योद्धारी धरती, हां जन्म जन्म हरसावे छे।
चेतक रो सवार मिनख रो, हां ई सूरज रो गुमान छे।
                    
                       स्वरचित-बद्री प्रसाद शर्मा 
                       नोखा(बीकानेर)

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