Aniket 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक Mothers Day #loveumom 39835 0 Hindi :: हिंदी
अपने आंचल की छाओं में, छिपा लेती है हर दुःख से वोह एक दुआ दे दे तो काम सारे पूरे हों.. अदृश्य है भगवान, ऐसा कहते है जो.. कहीं ना कहीं एक सत्य से, अपरिचित होते है वोह.. खुद रोकर भी हमें हसाती है वोह.. हर सलीका हमें सिखलाती है वोह.. परेशानी हो चाहे जितनी भी, हमारे लिए मुस्कुराती है वोह.. हमारी खुशियों की खातिर दुखो को भी गले लगाती है वो.. हम निभाएं ना निभाएं अपना हर फ़र्ज़ निभाती है वोह.. हमने देखा जो सपना सच उसे बनती है वो.. दुःख के बादल जो छाये हमपर तो धुप सी खिल जाती है वोह.. ज़िन्दगी की हर रेस में हमारा होसला बढाती है वोह.. हमारी आँखों से पढ़ लेती है तकलीफ और उसे मिटाती है वोह.. पर अपनी तकलीफ कभी नही जताती है वोह.. शायद तभी भगवान से भी ऊपर आती है वोह.. तब भी त्याग की मूरत नही माँ कहलाती है 'वोह'..