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मुझको नूतन संसार चाहिए-मुझे चाहिए ऐसा बंधन जिसका काल नहीं कोई

Sudha Chaudhary 14 Aug 2023 कविताएँ अन्य 7024 0 Hindi :: हिंदी

मुझको नूतन संसार चाहिए
मुझे चाहिए ऐसा बंधन
जिसका काल नहीं कोई
मुकुट धरों का मुकुट चाहिए
मान और सम्मान चाहिए
अधिकारों की बात करें तो
सारा का सारा ध्यान चाहिए।
मुझको नूतन संसार चाहिए।

मेरे पलक निछावर
बारंबार तुम्हारे पथ पर
बादलों की सेज छुपा कर
रख लूं अपनी बाहों पर
आशा के नव दीप जलाकर
मेरा अपना शयनागार चाहिए।
मुझको नूतन संसार चाहिए।

देखो यहां उन्माद नहीं
  केवल प्रेम का नींव पड़ेगा
तुम चाहो तो खोलो गागर
आंखों में पढ़ लो आकर
सांसे ठंडी ना कर लो तुम
मेरा बस उद्धार चाहिए।
मुझको नूतन संसार चाहिए।

सुधा चौधरी
बस्ती

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