Vikas Yadav 'UTSAH' 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य मुझे क्यों सताया जा रहा विकास यादव उत्साह बचपन कविता 10006 0 Hindi :: हिंदी
मैं बचपन हूं मुझे क्यों? सताया जा रहा अभी तो उड़ना सीख रहा था,कि चार दीवारों में डाला जा रहा, आंचल का तो पता नहीं पर बसते की बोझ में दबाया जा रहा। मैं बचपन हूं, मुझे क्यों? सताया जा रहा कहेते हो दुनियाऽ बड़ी है, तो सबको जल्दी क्यों पड़ी है? २... अभी तो बोलना सीख रहा था, कि इंजेक्शन से मुझे बढ़ाया जा रहा मासूम से चेहरे को क्यों? पत्थर सा बनाया जा रहा मैं बचपन हूं मुझे क्यों? सताया जा रहा फेक मिट्टी- मुट्ठी से क्यों ? यांत्रिक दुनिया में लाया जा रहा लोरी का तो पता नहीं यूट्यूब से मुझे बझाया जा रहा मैं बचपन हूं मुझे क्यों ? सताया जा रहा। काव्य- विकास यादव "उत्साह" हैदरगंज,गाजीपुर, (उत्तर प्रदेश)