Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

Vikas Yadav 'UTSAH'

Vikas Yadav 'UTSAH'

Vikas Yadav 'UTSAH'

@ --15
, Uttar Pradesh

मैं विकास यादव, काव्य उप नाम "उत्साह" मेरा जन्म स्थान ग्राम सभा सरार ऊर्फ हैदरगंज पोस्ट मटेहूं जिला गाजीपुर उत्तर प्रदेश में हुआ है। मैं अभी 17 वर्ष का हूं, और मेरी स्कूली शिक्षा अमृत पब्लिक स्कूल मऊ, द्वारा चल रही है किंतु हिंदी के प्रति प्यार और कविता में थोड़ा झुकाव होने के कारण मैं अभी अपने टूटे -फूटे शब्दों में अपने विचारों को बांधने की कोशिश करता हूं अब तक मेरी 20 से अधिक रचनाएं आ चुकीं हैं और आशा है आगे भी आती रहेंगी। आप लोगों के प्यार दुलार के लिए धन्यवाद।

  • Followers:
    5
  • Following:
    3
  • Total Articles:
    21
Share on:

My Articles

काव्य रचना - ना कोई इंसान होगा सूरज होगा चांद होगा ये धरा और आसमान भी होगा, पर्वत होगा श्मशान होगा पर मुझे लगता है ये इंसान न होगा। खे read more >>
सफ़ेद पोश आये हैं कुछ सफेद पोश आज हमारे गांव में मांग रहे लोटे में पानी बैठे नीम के छांव में एक नहीं हैं दो नहीं हैं दस के दस हैं साथ � read more >>
जिंदगी एक छोटी सी आशा छोटी सी एक जिंदगी है छोटी सी जीने की आशा इसी छोटी सी आशा में छुपी कितनी सारी अभिलाषा कौन देखा है कल का भोर फिर � read more >>
मेरी कलम से - सुविचार * जग जाता किसके पीछे है? जो जीता है और तुम कहते हो जग में जीने नहीं देता। - 'उत्साह' * सबका प्यारा बनना है � read more >>
पहले प्यार अंधा होता था लेकिन अब बहरा हो गया है, जो दिल की सुनता नहीं और लगाने के लिए हैसियत देखता है। - 'उत्साह' read more >>
चंदा मामा की राखी कितना प्यारा वंदन बन गया ये रक्षाबंधन जन्मों का बंधन बन गया २..... जो कभी सपना था लोरीयों में आज वो चंदा मामा अपना बन read more >>
काव्य रचना - अग्नि भी शर्मा गई चार जबाजों को देखा हमने लथ पथ आग बुझा रहे थे, सैकड़ों की भारी भीड़ में मुर्दे रिल्स बना रहे थे। देख पत� read more >>
संस्मरण लेख - शीर्षक - मेरे दादा जी [यह एक संस्मरण लेख है, जिसके अंतर्गत मैंने अपने दादा जी के साथ बिताए पल व उनकी स्मृतियों को शब्द बद्� read more >>
संस्मरण लेख - उत्तर नहीं मिला आज सहसा कदम दर्जीयाने की तरफ मुड़ गया जहां से मुझे मेरे सिले हुए कपड़े वापस लाने थे, रास्ते के कि� read more >>
शीर्षक - भारत को एक बनाएंगे संविधान कहेता है चींख कर हम सब एक समान हैं, विज्ञान कहेता वर्षों से सब में रूधिरा लाल हैं। एक ही जल, एक ही प read more >>
Join Us: