Mohan pathak 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक भक्ति 30782 0 Hindi :: हिंदी
हे ईश नीली छतरी वाले हे मुरली मनोहर मुरली वाले। कभी तुझ संग खेली होली वृंदावन में की ठिठोली। चुराय माखन गोकुल से मटकी दी फोड़ पत्थर से। तू ही माखन देने वाला हम सब चाव से खाने वाले। तू मुरली बजाने वाला हम सब ग्वाले नाचने वाले। वह दिन लौटा दे हे मोहन नित नव अवतार लेने वाले। मुसीबत में हैं सुध लीजो हे सबकी लाज रखने वाले। जग की क्या कहें स्वार्थी अपनी ही कहने वाले। बह चली उल्टी बयार बचा लो हे पार लगाने वाले। तेरा अनुराग रहा मन में इतना हे मोरपंख वाले। संसार सागर तरण कठिन जीवन नैया तेरे हवाले । तेरी माया जैसा किया कर्म वैसा ही पाने वाले। तेरे स्वर तेरे गीत तू ही जाने हे माधव मुरली वाले। तू ही सखा तू ही रखवाला हम तेरे गुण गाने वाले। अंत में मैं हार गया तू बना विजेता हे गिरधर वाले। वंशी बजैया रास रचैया हे गोपाल लकुठी वाले। मथुरा में जन्म लेकर भी गोकुल का कहलाने वाले। यमुना किनारे खेले खेल कालिया नाग नचाने वाले। आकर विपद हरो हे सबकी विपदा हरने वाले।