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पापी इतिहास रचता नहीं

Santosh kumar koli ' अकेला' 25 Dec 2023 कविताएँ समाजिक पाप 6986 0 Hindi :: हिंदी

घृणित, निंदित कर्म पाप,
कृत पाप है कर्म संताप।
कर्त्ता हत अपने- आप,
पाप भार से घटे जीवन चाप।
लक्ष यतन से छिपता नहीं,
कर्दम -कराड़ वंश बढ़ता नहीं।
पापी इतिहास रचता नहीं,
इत्तफ़ाक़ से रचा, तो कुछ बचता नहीं।
एक दिन कृत्स बेल जाती बढ़,
न छिपता, न पचता कितना ही अकड़।
मैं यहां हूं बोलता सिर चढ़,
पापी गड नष्ट सजड़।

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