Sudha Chaudhary 02 Jul 2023 कविताएँ अन्य 7058 0 Hindi :: हिंदी
पथ मेरा विस्तृत हो जाए जब मैं जाऊं उसकी ओर। कठिन पगडंडिया मिल जाए जब मैं जाऊं उसकी ओर । पांव में मेरे छाले पड़ जाए प्यास और आकुलता आए कहीं न कोई प्यास बुझाए न हो कोई गाड़ी घोड़ा न हो कोई यान ज्ञात मुझे न दिशा रहे जब मैं जाऊं उसकी ओर। उसका घमंड न भूलें उसका वैभव याद रहे उसके बेपरवाही के दिन मुझको न अज्ञात रहे उसका मुझको छोड़ के जाना ऊपर से फिर दोष लगाना मेरी जिह्वा जल जाए कुछ भी उसका जो याद रहे। पथ मेरा विस्तृत हो जाए जब मैं जाऊं उसकी ओर।। सुधा चौधरी बस्ती