रोhit Singh 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #poem #poetry #thought #रोhitSingh #पड़ने_दे_छाले_पैरों_तले 89257 0 Hindi :: हिंदी
पड़ने दे छाले पैरों तले पसीने माथे पर आने..दे मंज़िल कि आज ज़िद रख या मंजिल का हो जाने..दे..! खुली आंखों के ख़्वाब हैं जो आज इन्हें नींदों से लड़ जाने..दे पूरे होने दे ख़्वाब या फिर ख़्वाबों का ही हो जाने...दे..!! गिरने दे.....उठने...दे ख़ुद को ना रुक जाने...दे मिल जाए सफ़र या फिर ये सफ़र का ही हो जाने...दो..!!! चमक चेहरे पे जीत की या हार की मायूसी छाने...दे हक़ में है आज जितना हिस्सा उतना आज हिस्से में आने...दे..!!!! कर आरंभ हैं...या आगाज़...दे होनर अपना आज आजमाने...दे मुझ में मैं ना रहूं या फिर मुझ में मुझको ही रह जाने...दे..!!!!! रोhit Singh...✍️