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प्रकृति ही परिवर्तन है

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक Rambriksh Bahadurpuri kavita #Rambriksh Bahadurpuri Ambedkar Nagar #Rambriksh Bahadurpuri Bahadurpuri 7423 0 Hindi :: हिंदी

कविता -प्रकृति ही परिवर्तन है

प्रकृति ही परिवर्तन है
परिवर्तन धरती अम्बर है

सुख से पहले दुःख का आना
राई का पर्वत बन जाना
नन्ही कलियों का खिल जाना
आज खिला तो कल मुरझाना
बस चलता यही निरन्तर है। 

ऋतुओं में परिवर्तन देखो
बदला बदला मौसम देखो
कुछ होते कुछ आगम देखो
बहती नदियां संगम देखो
होता रहता यह अंतर है।  

उत्तर से दक्षिण का होना
कोयला का हीरा बन जाना
हो ठण्डा जल का जम जाना
भापों का बादल बन जाना
न रुकता रोज समन्दर है। 

सतयुग से कलयुग तक देखो
कुछ सुनकर कुछ खुद ही सोंचों
जो जन्मा उसे मरते देखो
यह दुनिया ही एक नश्वर है। 

रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर यू पी 

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