Pradeep singh " gwalya " 24 Aug 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत Pradeep singh gwalya, प्यार का सपना या सपने में प्यार 7700 0 Hindi :: हिंदी
सुरम्य की तलाश में मैं था चला थका हारा चुपचाप चलता रहा उस दिन बिलखती धूप में सुंदर से रूप में दिखी एक मधुबाला। जब रुका तो देखा उसके बाल खुले थे गर्मी से उसके गाल,लाल हुए थे, मैं ख्वाबों में चला गया तो पाया कि मुझसे भी आगे मेरे खयाल खड़े थे। उसकी गर्दन पर नदी सी धार बनाता पसीना कुछ कह रहा था कमवक्त उसने वो पसीना पोंछ दिया, कि जैसे मेरे अरमानों को उसने नोंच दिया। उसकी बड़ी–बड़ी और नीली आंखें जो झील सी प्रतीत होती थी इधर–उधर फिरती थी अरे वाह! यही तो मेरे मन की कृति थी। मैं कुछ तो था सोच रहा शायद किस्मत को था कोस रहा कि भाई! बड़े दिन लगा दिए, पता है अब तक मैंने कितने सपने बहा दिए मैं और पास गया,वो मुस्कुराई लगा जैसे मोतियों की खान है दिखलाई उसने कहा क्या देखते हो साहब, कुछ कहना है या हो मुसाहब? तुरंत पीछे पलटा और सोचा कि क्या कहूं अब क्या सोचना यार,कह ही दूं ज्यों मैं वापस मुड़ा वो जा चुकी थी, दुःख हुआ 😔 पर क्या करूं अब वो मन को भा चुकी थी। मैं हताश निराश खुद को धिक्कार रहा था बस उसी के बारे सोच रहा था, कि यदि कभी मिले तो जरूर कहूंगा वह आप ही का हुस्न था जो मन को भाया था। कि अचानक नींद खुली तो पाया कि यह सब सपना था वह सपने में थी जिसे अपनाया था, अभी मुख पर नादान गुस्सा और अंतर्मन में हंसी थी कि वाह रै प्यार,सपने में ही सही अहसास तूने सच्चे वाला करवाया था। Pradeep Singh gwalya यह कविता मेरे द्वारा (प्रदीप सिंह ‘ग्वल्या’) रची गई एक प्यार की झलक दिखाने वाली कविता है जिसमें मुख्यतः एक व्यक्ति जिसे एक सपना आता है और उस सपने में उसके साथ क्या क्या होता है और अंत मे जाकर उसके साथ क्या होगा वो दर्शाया गया है ।तो यदि आपको ये कविता पसंद आए तो इसे जरूर लाइक करे और शेयर करें। धन्यवाद 🙏
pradeep singh "ग्वल्या" from sural gaon pauri garhwal uttarakhand . education:- doub...