Sudha Chaudhary 30 Aug 2023 कविताएँ अन्य 15820 0 Hindi :: हिंदी
राखी का त्यौहार है हृदय में उद्गार है आ जा मेरे भैया आज अपना वार है। मिलकर हम खेलेंगे जैसे बचपन खेल हैं तुम ले लेना सारे पैसे मेरा उपहार है। मोह लगी है भारी नैनों में उत्कंठा प्यारी मेरी पलकों पर रहता हरदम तेरा संसार है। दुविधा में है बहन तुम्हारी कैसे आऊं मन है भारी रोके राह खड़ी है कोई मनवां तो तैयार है। सुधा चौधरी बस्ती, उत्तर प्रदेश