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सबाल कई हैं- जो उलझता हैं सपने में भी रुलाता हैं

Rupesh Singh Lostom 02 Jul 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत सबाल कई हैं 6584 0 Hindi :: हिंदी

सबाल कई हैं जो उलझता हैं 
सपने में भी रुलाता हैं 
हाँ रुलाता हैं सपने में भी 
पर सच बताऊ तो सबाल और हैं 
जो सुलझाने हैं 
खुद को जवाब बताने हैं 

एक वो जो हल नहीं होता 
दूजा जो तू करना नहीं चाहता 
पर ये भी सच ही हैं 
सबल तो सिर्फ सबल हैं 

सुलझ जायेगा बस जबाब चाहिए 
बस समय रहते हिसाब चाहिए 
चाहिए तो बहुत कुछ थोड़ा सा अम्बर 
बस पूरा के पूरा आश्मान चाहिए 

मैं चाहता हु तू पूरा जहाँ पा ले 
जमी क्या तू नभ पे छा ले 
वक्त को हरा आगे निकल ले 
बस मैं चाहता हूँ तू थोड़ा 
मन के अंधकार भी मिटा ले 

जगाले अपने हृदये में प्रेम रूपी आग 
बस उस आग में थोड़ा मुझे झुलसा दे

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