संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक लोगों के लिए प्रेरणा से भरपूर मेरी कविता जिसका शीर्षक ऊपर दिया हुआ है। 91614 0 Hindi :: हिंदी
सज धज कर राधा चली, कृष्ण मिलन की प्यास। लगती सुन्दर गजब की, उनसे ही है आस।। सज धज कर राधा चली,यमुना तरनी पास। रखी बसा मन श्याम को, मुरली की धुन खास।। सज धज कर राधा चली, वृंदा वन में रास। सखियां सब हैं साथ में,करे सभी परिहास।। सज धज कर राधा चली,लिए दिव्य मुस्कान। नयनों में काजल लगी, गोपी की हैं शान।। सज धज कर राधा चली,प्रीतम मिलने आज। सभी गोप के मुख्य जो,गिरधर हैं सरताज।। संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....