Uday singh kushwah 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत Google/yahoo/bing 86063 0 Hindi :: हिंदी
विस्तार... कहीं किसी रोज उस किनारे के उस पार वजती है सुमधुर ध्वनि, र्कणप्रिय लिए विस्तार करती मन के संताप दूर शनै शनै...! जब भी उठती ह्दय में हूंक सरिता सुनती मौन और मूक, करती किलौलें हरती हर संताप करती मन को उच्छवास ...! जब भी बजती वो मधुर बांसुरी, मन हृदय को करती आकृषित , अपने में नव विश्वास लिए ... क्षितिज पर आगये तारे सुनने को आतुर ...! कल-कल-करती सरिता में फिर नव नाद न हो ,रात्रि भी सिमटी वैठी सुनने को आतुर नीड से खग देख सुन-सुर में सुर मिला रहें...! चांदनी वैठी नींद में डूबी सुनने हृदय संगीत मन ही मन मुस्करा रहे प्रेम के बाने को पहन शशिरुप पवन वह रहा शनै शनै....! करतीं भोर स्वागत् और मोर नाचती घनघोर नीलाकाश में टिमटिमा रहे तारे जाते अपनी छोर... शनै शनै...! मंद्र मंद्र गति से गतिमान शीतलता लिए चली विश्वास उर में लिए करती किलोंलें तट से मिलने प्रीतम से , तोड़ दूं सारे बंधन एकसार हो जाने के लिए...! यू.एस.बरी