Rupesh Singh Lostom 07 Sep 2023 कविताएँ अन्य सपने धूमिल हैं 5380 0 Hindi :: हिंदी
सपने धूमिल हैं सपने धूमिल हैं तो क्या हुआ कभी तो सच्चे होंगे अभी वक्त बुरा हैं तो क्या हुआ कभी तो अच्छे भी होंगे आज खून भी पसीना बनके बहता हैं तो क्या हुआ कभी तो मजे होंगे अभी मुकदर ख़राब हैं मेरा तो क्या हुआ कभी तो तक़दीर चमकेंगे आज अंधकार भरा सवेरा हैं तो क्या हुआ कभी तो रौशनी बिखेरेंगे लाख पहरा हैं हुस्न पे तो क्या हुआ कभी तो इश्क वर्षाएंगे आज कल्पनाओ में पंख नहीं हैं तो क्या हुआ कभी तो हौशलों से उड़ जाएंगे अभी डसती हैं पल पल भूख रूपी डायन तो क्या हुआ कभी तो सुख के दो नीबाला खाएंगे